जम्मू-कश्मीर: रामबन के राजगढ़ में हादसा, 5 की मौत
जम्मू-कश्मीर के रामबन जिले के राजगढ़ इलाके में आधी रात को हुए हादसे में पांच लोगों की मौत, चार शव मिले और एक का शव अब भी मिल रहा है प्रस्तावना: रात 11 से 12 बजे के समय हुआ बादल रिझाने का दिलहंताकारी हादसा जिसने पूरा गांव हिला कर रख दिया जम्मू-कश्मीर के रामबन जिले के राजगढ़ क्षेत्र से एक दुखद खबर आई है। रात 11 से 12 बजे के बीचअचानक बादल फटा और देखते ही देखते गांव में तबाही मच गई। इस दुर्घटना में 2 से 3 मकानों का नुकसान हुआ और एक ही परिवार के पांच लोगों की मौत हो गई। अब तक चार शव बरामद हो चुके हैं, जबकि एक व्यक्ति की तलाश जारी है।
हादसे का मंजर: पूरे परिवार की मौत और गांव में तबाही का वो मंजर जिसे लोगों की आंखों में देखकर डराया-धमकाया गया
णों के मुताबिक ऐसी भयावह स्थिति उन्होंने पहले कभी नहीं देखी थी. कुछ ही देर में बादल फटने से मकान ढह गए और लोग मलबे में दब गए। इस हादसे में अपने रिश्तेदारों से मिलने आए दो भाई और एक बहन की जान चली गई। लोगों के मुताबिक यह हादसा हमेशा याद रहने वाला है क्योंकि इस आपदा में एक ही परिवार खत्म हो गया. स्थानीय लोगों की अपील: प्रशासन और मीडिया से सहायता की गुहार और सुविधाओं की कमी पर आक्रोश लोग लगातार कह रहे हैं कि उनके गांव में किसी तरह की कोई स्थिर सुविधा नहीं है। बारिश के मौसम में बच्चों को स्कूल जाने में दिक्कतें होती हैं, बारिश भर जाती हैं और सड़कें बह जाती हैं। उनका कहना है कि प्रशासन बार-बार चिंताओं को नजरंदाज करता है। अब जब इतना बड़ा हादसा हुआ है तो वे चाहते हैं कि सरकार और मीडिया उनकी आवाज़ों को पकड़ें और उन्हें न्याय दिलाएँ
जैमी-कश्मीर की रिलेवेंट चियां: टीवी पुल हादसा, डोडा और किश्तवाड़ में बादल फटना और अब रामबन का यह नया पिरामिड चैप्टर
जम्मू-कश्मीर में हाल ही में कई बड़ी प्राकृतिक आपदाएँ आई हैं। कुछ दिन पहले जम्मू टीवी पुल पर बारिश की वजह से बारिश हुई, जिससे कई लोगों और पैसों को नुकसान हुआ। डोडा और किश्तवाड़ में भी बादल राय से कई लोग मारे गए। अब रामबन में ये नया हादसा हुआ जिसने पांच लोगों की जान ले ली और सैकड़ों को दर्द और दरिंदगी में डाल दिया। राहत और बचाव:एनडीआरएफ, भारतीय सेना और पुलिस तत्पर लेकिन पीड़ितों की पीड़ा अभी भी बरकरार है दुर्घटना के बाद अंतिम टुकड़ों की सूची तत्काल सूची पर पहुंच गई। भारतीय सेना और पुलिस ने भी राहत कार्य में सहयोग दिया। चार शवों को निकाला गया है और पांचवे की तलाश अभी भी जारी है। स्थानीय लोग भी प्रशासन के साथ मिलकर राहत कार्य में लगे हैं। लेकिन प्रभावित परिवार और गांववालों का दर्द अभी भी गहरा है।
सरकार का बयान: सरकार बच्चों की पढ़ाई की जिम्मेदारी लेगी लेकिन लोग सरकार पर आरोप लगा रहे हैं कि वह समस्याओं को नजरअंदाज कर रही है.
सरकारी अधिकारियों ने दावा किया है कि जिन परिवारों ने इस हादसे में डीज़ल को खो दिया है, उनके बच्चों की पढ़ाई-लिखाई की पूरी ज़िम्मेदारी प्रशासन की है। उनका यह भी मानना है कि ऐसी घटनाओं को टाला नहीं जा सकता, लेकिन सरकार का ज़िम्मा है कि प्रभावित परिवार को हर संभव मदद दी जाये। गांव के लोग कहते हैं कि उनकी समस्याओं को हमेशा देखा जाता है और बहुत देर से राहत मिलती है।
जनता का दर्द: एक पल में तबाही, टूटे घर और सपनों के साथ संघर्ष करती जिंदगी
नागरिकों का कहना है कि कुछ लोगों का जीवन रूप बदल गया। घर, स्टूडियो, गाय-बफ़र और परिवार – सब कुछ नष्ट हो गया। लगातार बारिश के कारण ऐसी घटनाएं बार-बार हो रही हैं और आसपास आम जनता का जीना मुश्किल हो गया है। उनका कहना है कि प्रशासन को अब और स्थायित्व नहीं देना चाहिए, अन्यथा ऐसी त्रासदी लोगों की अपनी उम्मीदों और सपनों को केवल टिकाऊ बनाती है।
निष्कर्ष: रामबन का ये प्राकृतिक आपदा ही नहीं बल्कि ये प्रशासनिक शिथिलता और सुविधाओं की कमी की बड़ी तस्वीर है
रामबन जिले का यह क्लाउड राय का झटका प्राकृतिक आपदा नहीं है, बल्कि यह सांस्कृतिक उद्योग और प्रतिष्ठा की भी पोल खोलता है। एक ही परिवार के पांचवें सदस्य का हादसा पूरे क्षेत्र को प्रमुखता से मिला दिया गया है। अब यह सरकार और प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वे किसी भी प्रभावित परिवार को भविष्य में राहत न दें बल्कि ऐसी घटनाओं से मुक्ति के लिए ठोस कदम भी उठाएं। सरकार से लोगों की अपील है कि राहत और सुविधाएं तुरंत दी जाएं, कई लोगों को राहत और सुविधाएं दी जाएं, मदद की शिक्षा और राहत की जिम्मेदारी सरकार की है, लेकिन जनता में लगातार बारिश और मंदी की खबरें हैं, जिससे लोगों का जीवन संकट में पड़ गया है।